इतिहास अतीत एवं भौगोलिक सीमा के अंतर्गत घटनाओं के वर्णन का यथार्थ प्रस्तुतीकरण है। कालचक्र के वर्णन एवं विवेचन में इतिहासकार प्रायः वस्तुनिष्ठ होने का प्रयास करता है, परंतु देश, काल एवं साक्ष्यों के एकत्रीकरण, एवं उस समय की परिस्थितियां एवं विचार इतिहासकार को नया आयाम देने के लिए बाध्य करती हैं।
प्रस्तुत वेबसाईट worldwidehistory.com आप महानुभावों के समक्ष इतिहास से संबंधित अद्यतन नवीन एवं अधिकतम जानकारी का एक माध्यम है। यह स्नातक, परास्नातक अर्थात् विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं एवं प्रशासनिक सेवाओं हेतु प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक श्रमसाध्य प्रयास है। worldwidehistory.com के माध्यम से इतिहास के नवीन एवं महत्वपूर्ण सामाग्रियों को एक स्थान पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
डा. विश्वनाथ वर्मा, हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय वाराणसी (उ.प्र) के प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग में मार्च 1996 से अध्ययन-अध्यापन का कार्य कर रहे हैं और संप्रति एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं। आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद से स्नातक एवं परास्नातक की शिक्षा प्राप्त की और नेट/जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन और उसकी कार्यवृत्ति का सफल संपादन कर चुके हैं। आप वर्तमान में गांधी अध्ययन केंद्र, हरिश्चंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय वाराणसी के संयोजक भी हैं। गांधी अध्ययन केंद्र की ओर से आपने एक सप्तदिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन भी किया है। आप 60 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रतिभाग कर चुके हैं। आपके दो दर्जन से अधिक शोधपत्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं एवं कार्यवृत्तियों में प्रकाशित हो चुकेहैं। आप विभिन्न अकादमिक संस्थाओं एवं समितियों, जैसे इतिहास संकलन योजना, इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस, उ.प्र. हिस्ट्री कांग्रेस आदि के सदस्य भी हैं। आप छात्र-छात्राओं के शोध-कार्य का निर्देशन भी कर रहे हैं। आपके निर्देशन में एक विद्यार्थी पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर चुका है।
आपकी अबतक कुछ प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें हैं- प्राचीन भारत का राजनीतिक इतिहास (प्रारंभ से 550 ई. तक); प्राचीन भारत का राजनीतिक इतिहास (550 से 1250 ई. तक); राष्ट्रगौरव एवं भारतीय चिंतन; भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन; गांधी: कल आज और कल; प्राचीन भारत में विधवाओं के विविध परिवर्तनीय आयाम; श्रमण परंपरा की वर्तमानयुगीन प्रासंगिकता आदि।