भारतीय पर्यटन: एक विश्लेषण (Indian Tourism: An Analysis)
भारत की 5,000 से भी अधिक वर्ष से भी अधिक प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति का विश्व की प्राचीनतम् सभ्यताओं में गौरवपूर्ण स्थान है। भारत की विशाल सांस्कृतिक विरासत को देखते हुए इसमें कोई सन्देह नहीं है कि पर्यटकों को आकर्षित करने की अपार संभावनाए। विद्यमान हैं। भारत के प्राचीन ऐतिहासिक नगर व स्मारक, अजन्ता, एलोरा, खजुराहो आदि की अवर्णनीय कलाकृतियाँ, उत्तर-दक्षिण भारत के भव्य व कलात्मक मंदिर, ताजमहल व मुगल कालीन स्मारक हमारे लिए गर्व की बात है। पश्चिम की भौतिकवादी जीवनधारा से ऊबे विदेशियों को भारत की सौम्य व सरल शैली ने अपनी ओर आकर्षित किया है। धरती का स्वर्ग कही जाने वाली कश्मीर घाटी का अद्भुत सौन्दर्य, मनोहारी समुद्र तट एवं सुरम्य वन स्थलों की प्राकृतिक सुन्दरता सैलानियों को सहज ही आकर्षित करने में सक्षम है।
सामाजिक एवं आर्थिक उपयोगिता –
पर्यटन से होटल, सड़क, आवास एवं अन्य उपयोगी सेवाओं को प्रोत्साहन मिलता है। जो विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहायक सिद्ध होता है, यह रोजगार का व्यापक सृजन करता है, अन्तर्राष्ट्रीय सद्भाव एवं राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है, पर्यटन से हस्तकला उद्योगों को बढ़ावा मिलता है और औद्योगिक व व्यावसायिक क्रियाओं में वृद्धि होती है, पर्यटन से परिवहन के साधनों का प्रोत्साहन तो मिलता है, साथ ही विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी सहायता मिलती है, वस्तुओं के निर्यात किए बिना करोड़ों की विदेशी मुद्रा का अर्जन होता है। आज पर्यटन भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। देश को विदेशी मुद्रा का एक बड़ा अंश इसी से प्राप्त होता है। पिछले दसकों के दौरान भारत में अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन में वृद्धि हुई है।
विदेशी पर्यटक का आगमन
वर्ष विदेशी पर्यटक (करोड़ में)
2010 5.78
2011 6.31
2012 6.58
2013 6.97
2014 7.68
2015 8.03
2016(जनवरी-जून) 4.19
स्रोत- पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार।
सरकारी प्रोत्साहन-
पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा विदेशी मुद्रा आय व रोजगार बढ़ाने के लिए ‘राष्ट्रीय पर्यटन कार्यक्रम’ की घोषणा की गयी है। इस कार्यक्रम के अन्र्तगत तीर्थाटन व सांस्कृतिक पर्यटन के विकास, पर्यटन विशेष क्षेत्रों के सघन विकास, वर्ष भर मेले और उत्सवों के जारी रहने को प्रोत्साहन, तीन वर्ष में विश्व पर्यटन मेले का आयोजन, देश भर में ‘सम्मेलन नगर ’ स्थापित करने और विशिष्ट पर्यटक सर्किटों और केन्द्रों के विकास को प्रोत्साहन देने की घोषणा की गई है। इसके लिए होटल निर्माण व परिचलन, पर्यटन परिवहन और अन्य पर्यटन सुविधाओं के लिए व्यापक छूटों और प्रोत्साहन देने की घोषणा की गई है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की क्षेत्र विशेष की योजनायें भी हैं जिनमें पैलेस आन व्हील्स रेलगाड़ी का उल्लेख किए बगैर बात अधूरी रहेगी। यह रेलगाड़ी विदेशी सैलानियों को राजस्थान के अतीत की झलक दिखाने के लिए भारतीय रेल द्वारा राजस्थान पर्यटन विकास विभाग और भारतीय रेल मंत्रालय के सहयोग से 1982 ई0 से यह गाड़ी चलायी जा रही है। गाड़ी का पूरा टूर इस प्रकार बनाया गया है कि अधिकांश सफर रात को ही होता है और दिन में यात्रियों को नगर भ्रमण कराया जाता है। गाड़ी जयपुर, चित्तौड़गढ़, जैसलमेर, जोधपुर आदि का भ्रमण करती है। इससे अब तक काफी विदेशी मुद्रा अर्जित हुई है।
भारत महोत्सव-
साथ ही विदेशी मेहमानों को आकर्षित करने के लिए श्रीमती गांधी के जमाने से ही विदेशों में भारत महोत्सवों के आयोजन का सिलसिला जारी है। अब तक यह महोत्सव ब्रिटेन, अमरीका, रूस, चीन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, जर्मनी आदि देशों में आयोजित हो चुके हैं और भारतीय विरासत के आकर्षण को विदेशी नागरिकों से अवगत करा चुके हैं। वर्ष 1991 में विदेशी पर्यटकों के भारत आगमन में बाधक नियमों और कानूनों में संशोधन कर उनके आगमन को सरल बनाया गया है। टैक्सी ड्राइवरों, आव्रजन कर्मचारियों, कस्टम अधिकारियों आदि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये गये हैं।
विदेशी मुद्रा-
वर्तमान में पर्यटन भारत के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सर्वोच्च स्थान पर है। पर्यटक अपने खानपान, भ्रमण व आवास हेतु धनराशि व्यय करके विदेशी मुद्रा प्रदान करते हैं। इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ आधार प्रदान किया जा सकता है। विभिन्न वित्तीय वर्षों में पर्यटन से अर्जित आय की स्थिति तालिका में दर्शायी गयी है।
तालिका
पर्यटन उद्योग से विदेशी मुद्रा अर्जन
वर्ष आय (करोड़ रूपये में)
2010 80000.00
2011 100000.00
2012 120000.00
2013 140000.00
2014 160000.00
2015 135193.00
2016(जनवरी-जून) 73065.00
स्रोत्र- पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार।
वर्तमान अस्त-व्यस्त भारतीय भुगतान संतुलन की स्थिति, बढ़ता हुआ विदेशी ऋण भार तथा पूजी निर्माण की दर में वृद्धि, विदेशी मुद्रा प्राप्ति से ही संभव है, जिसके लिए पर्यटन उद्योग एक महत्वपूर्ण साधन है। पर्यटन से विदेशी मुद्रा का अर्जन करने के लिए हमें ‘अतिथि देवोभव’ वाली भावना को फिर से विकसित करना होगा।
रोजगार-
देश की बेरोजगारी को दूर करने की दृष्टि से पर्यटन उद्योग में रोजगार वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। प्रशिक्षित प्रबन्धकों से लेकर कर्मचारियों, हस्तशिल्प कारीगरों, परिवहन कर्मचारियों, होटलों, गाइडों आदि कई व्यवसायों से लोगों को रोजगार मिलता है। कृषि, बागवानी, मुर्गीपालन, हस्तशिल्प, भवन निर्माण आदि गतिविधियों से पर्यटन के जुड़े होने के कारण रोजगार पर इसका और भी अधिक रचनात्मक प्रभाव पड़ता है। भारत सरकार ने पर्यटनसे युवाओं को रोजगार प्रदान करने हेतु वर्ष 1988 से पर्यटन बिषय को व्यावसायिक पाठ्यक्रम के रूप में स्कूली एवं विश्वविद्यालय स्तर पर आरम्भ कर दिया है। प्रशिक्षण काल समाप्त करने पर प्रशिक्षणार्थी पर्यटक गाइड, पर्यटक कंडक्टर, बुकिंग अधिकारी, सूचना अधिकारी, जनसम्पर्क अधिकारी, आतिथ्य सत्कार अधिकारी, इण्डियन एयर लाइंस, रेलवे गेस्ट हाउस, होटल में रिसेप्शनिस्ट आदि पदों पर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
समस्याएं-
पर्यटन एक सामाजिक आर्थिक गतिविधि है, जिससे कई क्षेत्रों तथा कभी- कभी पिछड़े इलाकों के आर्थिक विकास में मद्द मिलती है और नई आर्थिक गतिविधियाँ प्रारम्भ होती हैं। राष्ट्रीय विकास परिसद ने सन 1984 में ही पर्यटन को एक उद्योग के रूप में मान्यता दे दी। 6दिसम्बर,1989 से इसे एक स्वतंत्र मंत्रालय का रूप देते हुए एक कैबिनेट मंत्री के प्रभार में रखा गया किन्तु अनेक बाधाओं के कारण भारत में पर्यटन एक उद्योग के रूप में अभी भी विकसित नहीं हो सका है। पर्यटन उद्योग के विकास में कतिपय समस्याएं हैं। जो इस प्रकार हैं-
1. व्यापक एवं प्रभावी प्रचार-प्रसार की व्यवस्था नहीं है।
2. भारत में सस्ती, सुन्दर एवं सुविधाजनक पर्याप्त आवास व्यवस्था नहीं है।
3. सुविधा जनक एवं तीव्र यातायात साधनों की कमी है।
4. वायु- रेल एवं सड़क सुविधाओं में समन्वय नहीं है।
5. विदेशी पर्यटकों को कोई विशेष सुरक्षा प्रदान नहीं है।
6. भारत में उग्रवादी/आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि हुई है।
7. भारत में पर्यटकों के लिए अच्छी एवं उचित सुख-सुविधाओं का अभाव है।
8. शिक्षित एवं प्रशिक्षित तथा योग्य गाइड़ों का अभाव।
9. साहसिक एवं समुद्रतटीय पर्यटन को विशेष बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
10. राज्य सरकारों का पर्यटन के विकास में सक्रियसहयोग का अभाव रहा है।