World History

चीन की सभ्यता या ह्नाँगहो सभ्यता

अग्नि के आविष्कार के पश्चात् जिस प्रकार पाषाणयुगीन मानव नवीन पाषाण काल में प्रविष्ट हुआ उसी प्रकार कृषि कला के ज्ञान ने मानव को आदिवासी बंजारों जैसे जीवन से निकाल कर सभ्यता के दर्शन कराये। थोड़े समय बाद ही एशिया, योरोप और अमेरिका महाद्वीप में सभ्यता का विकास हुआ। चीन की प्राचीन सभ्यता की संरचना प्रतीकों और मिथकों पर की गयी है। चीन की सभ्यता के विषय में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मिस्र, मेसोपोटामिया और यूनान की तरह विभिन्न जातियों और नस्लों के लोगों की नहीं अपितु एक ही जाति के लोगों की सभ्यता है जो एक ही भाषा बोलते और लिखते हैं और यह वही भाषा है जिसका आविष्कार आज से लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व हुआ। इस प्रकार चीन की सभ्यता में एक सातत्य है। चीन देश में भी कृषि का ज्ञान ही सभ्यता का आधार बना तथा यह सभ्यता हर दृष्टि से एक पूर्ण विकसित सभ्यता थी। चीन की प्राचीन सभ्यता की अवधारणा में एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रतीकों और मिथकों की रही। चीनी इतिहासकारों और सभ्यता के अध्येताओं ने जिनमें कन्फ्यूशियस का प्रमुख स्थान है, चीन की सभ्यता का आरम्भ चीनी राष्ट्र की स्थापना से अर्थात् ईसापूर्व 2852 से माना जाता है और उसके साथ अनेक प्रतीकों और मिथकों को जोड़ दिया है जो आज तक चीन की सभ्यता का महत्वपूर्ण अंग बना हुआ है। यह माना जाता है कि चीन की सभ्यता का प्रथम चरण तीन शासकों का काल है, और दूसरा पाँच शासकों का। प्रथम तीन शासकों का तात्पर्य तीन शासक समूह हैं जिनमें पहले समूह में बारह दैवी षासक, दूसरे में ग्यारह पृथ्वी लोक के शासक और तीसरे समूह में नौ मानवीय शासक हुए। ये तीन शासक समूह वास्तव में स्वर्ग, पृथ्वी और मानव के प्रतीक माने गये हैं। उसके बाद आने वाले पाँच शासक समूहों के शासक वास्तव में उन महान चीनी नागरिकों के प्रतीक हैं जिन्होंने आग, कृषि, पंचाँग (कलेण्डर) और चीनी लिपि आदि सांस्कृतिक उपादानों का आविष्कार किया। यह तो हुई प्रतीकों की अवधारणा, अब मिथकों का उदाहरण लें। चीनी मिथक के अनुसार तीन शासक समूहो का पूर्वज फू सी (थ्न भ्ेप) हुआ, जिसक विषय में ऐसी मान्यता है कि उसका धड़ अजगर जैसा और सिर मनुष्य की तरह था। फू सी (थ्न भ्ेप) ने ही उन आठ त्रिमितीय संरचनाओं (ज्तपहतंउे) की खोज की जिन पर भविष्यवाणी की चीनी प्रणाली (प् ब्ीपदह) आधारित है। फू सी ने ही सबसे पहले शिकार और मछली पकड़ने के लिए जाल का प्रयोग सिखाया। फू सी की पत्नी का नाम नु वा (छन ॅं) था। जो एक चमत्कारी स्त्री थी। एक बार बाढ़ आने पर पानी को सुखाने के लिए उसने नरकुल के सरकंडों की राख का प्रयोग किया। पाँच शासकों में शेन नुंग (ैमद छनदह) ने खेती, व्यापार और औषधि की शिक्षा प्रदान की और पाँच तारों वाले सितार (र्पजीमत) का आविष्कार किया। चीनी सभ्यता के उदय के विषय में एक प्राचीन मिथक है जिसके अनुसार सृष्टि के आदि में जो अव्यवस्था और अराजकता व्याप्त थी। उस अराजकता को समाप्त करने के लिए पी एन कू (च् ।द ज्ञन) नामक कुत्ता पैदा हुआ जिसने दक्षिण की बर्बर जाति को पराजित करने में सम्राट काओ सिन (ज्ञंव भ्ेपद) की मद्द की। सम्राट ने अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए अपनी बेटी का विवाह पी एन कू के साथ कर दिया। उसने ही पी एन कू की मौत के समय उसके गर्भ से चीन को जन्म दिया। चीनी सभ्यता की प्रमुख विशेषतायें इस प्रकार हैं- सर्वप्रथम, चीनी शासक स्वयं को देश की जनता का कल्याणकारक मानते थे। जनता के सुख-दुख को अपना सुख-दुःख मानते थे। शासक ’ईश्वरीय पुत्र’ होने के उपरान्त भी जनता पर अत्याचार करने अथवा निरंकुश व्यवहार करने के लिए, स्वतन्त्र नहीं थे। चीनी सभ्यता में नगर के नगर अधिकारियों को विशेष शक्ति एवं अधिकार प्राप्त थे। कुछ मामलों में वह पूर्ण स्वतन्त्र थे। द्वितीय, चीनी सभ्यता में शिक्षित व्यक्ति को जितना महत्त्व, मान, सम्मान दिया जाता था, उतना अन्य किसी सभ्यता में नहीं दिया गया। माता पिता अपने बालकों की शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देते थे। तृतीय, चीनी समाज में मनोरंजन को विशेष स्थान प्राप्त था। यह एक ओर उनके मनोरंजन का साधन था। चतुर्थ, चीनी में सर्वप्रथम रेशम के वस्त्रों का निर्माण किया गया, और विश्व में इसका प्रसार किया गया। पंचम, कला के क्षेत्र में चीनी कलाकार सुन्दरता और स्वच्छता का तो ध्यान रखते ही थे, साथ ही साथ कला को आनन्द का स्रोत एवं मानव भावनाओं का दर्पण मानते थे। चीनी सभ्यता के वासियों ने नृत्य एवं संगीत के क्षेत्र में विभिन्न मुद्राओं एवं सुरों की खोज की और उनका विकास किया। तत्कालीन चीनी समाज में न तो किसी प्रकार का भेद था, न ही ऊँच -नीच की भावना थी और न ही स्त्री को अनादर की दृष्टि से देखा जाता था अथवा भोग की वस्तु समझा जाता था। दर्शन तथा शिक्षा के क्षेत्र में तो चीनी सभ्यता का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। आधुनिक काल के प्रमुख दार्शनिक कनफ्यूशियस का जन्म भी चीन में हुआ था। शिक्षा का प्रसार उन्हीं सिद्धान्तों के आधार पर प्रचलित हुआ जो आजकल प्रचलित है। लीवीन्ज ने प्राचीन चीनी शिक्षा प्रणाली की प्रशंसा करते हुए कहता है कि ’मैं यह आवश्यक समझता हूँ कि हमको प्राकृतिक शिक्षाशास्त्र की शिक्षा देने के लिए चीनी अध्यापकों को बुलाया जाय।’ चीन की सभ्यता का उदय ह्नाँग हो (भ्नंदह भ्व) नदी के निचले बेसिन में हुआ था। यह प्रायः बाढ़ के विख्यात था। इस नदी को पीली नदी के नाम से भी जाना जाता है। जिसका उद्गम तिब्बत की पहाड़ियों से हुआ है और यह उत्तर की ओर ओरडास (व्तकवे) के रेगिस्तान के अन्तिम छोर से पूरब की ओर पुनः दक्षिण की बहती है, जहाँ वह तेज आँधियों द्वारा जमा की गयी पीली-भूरी मिट्टी से बने मैदान के बीच से होकर जाती है। आगे जाकर यह फिर पूरब की ओर मुड़ जाती है और विशाल उत्तरी चिन नामक मैदान का निर्माण इसी नदी के द्वारा बहाकर लायी गयी मिट्टी से हुआ है। कुल मिलाकर यह ीवह मैदान है जिसने चीन के लोगों और उनकी सभ्यता को जन्म दिया। उत्तर और पश्चिम की ओर मैदान एवं मिट्टी का बना पठारी क्षेत्र पहाड़ों, रेगिस्तान